7 अक्टूबर , एक आम दिन की तरह ही जब इजराइल के लोग सुबह सोकर उठते हैं, तो देश का नजारा बदल चुका था। हमास ने सुबह करीब 6 से 6:30 के बीच रॉकेट से इजराइल पर हमले शुरू कर दिए थे। इस बीच इजराइल का बॉर्डर पार करके हमास के लड़ाके लोगों पर गोलियां बरसाने लगे।
जिन जगहों पर हमास ने सबसे ज्यादा लोगों को निशाना बनाया, उनमें किबुत्ज बीरी, स्टेरोट, कफार अज्जा, नीर ओज और नोवा फेस्टिवल शामिल हैं। इन जगहों पर हमास के शुरुआती हमलों में ही 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अकेले किबुत्ज में हमले से पहले करीब 350-400 लोग थे। हमले के बाद यहां मुश्किल से 200 लोग बचे हैं।
धीरे-धीरे गाजा बॉर्डर के पास इजराइली शहरों में जगह-जगह लाशें बिछ गई। अब इजराइल की सेना गाजा स्ट्रिप से लगे इजराइली शहरों और कस्बों को हमास के कब्जे से छुड़ा चुकी है। इजराइली सैनिकों को यहां एक के बाद एक शव बरामद हो रहे हैं। हमास ने इजराइल की 20 लोकेशन को निशाना बनाकर अब तक करीब एक हजार से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी है।
इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ऐलान के बाद तो उनकी सेना कहर बनकर हमास के आतंकियों पर बरप रही है. इससे बौखलाया हमास अब प्रोपेगेंडा वीडियो के जरिए दहशत फैलाने की कोशिश कर रहा है. जंग में इजरायल को को कमजोर साबित करने में लगा है. इतना ही नहीं ब्लैकमेलिंग पर उतारू हो गया है. उसने अपने साथ बंधक बनाकर लाए गए इजरायली नागरिकों की जान की कीमत लगानी शुरू कर दी है. हमास ने धमकी दी टेलीकास्ट करेंगे। कि यदि इजरायल की सेना वहां वापस नहीं जाती है, तो वो हर एक बम के बदले एक बंधक की हत्याकर लाइव वीडियो बना कर भेजें गा
हमास लगातार जारी कर रहा है प्रोपेगेंडा वीडियो
हमास भी पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार प्रोपेगैंडा वीडियो जारी कर रहा है. अभी इजरायल की सीमा में घुसने का एक नया सीसीटीवी वीडियो सामने आया है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे उसके आतंकी इजरायल की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था को भी भेद दे रहे हैं. ऐसा करके इजरायल को दुनिया के सामने कमजोर दिखाने की कोशिश हो रही है. वीडियो में दिख रहा है कि हमास के आतंकी इजरायली ड्राइवर को गोली मारकर उसकी कार में सवार हो जाते हैं. इसी तरह आतंकवादियों ने एक बुजुर्ग महिला की हत्या कर दी, जो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. हैवानियत की हद तो ये हो गई उन्होंने उसका वीडियो बनाकर फेसबुक पर अपलोड कर दिया.
क्या है फास्फोरस बम ?
फास्फोरस एक तरह का रंगहीन केमिकल है। यह बेहद जहरीला होता है और इसका धुंआ भी काफी घातक होता है।जिस इलाके में इसका इस्तेमाल किया जाता है। उस इलाके में ऑक्सीजन की काफी कमी हो जाती है। फास्फोरस का तापमान 2,760 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है। धमाके से पैदा हुए इसके लाखों कण हर तरफ सफेद धुएं के एक गुबार की तरह फैलते हैं। इसके कण मानव शरीर के अंदर तक घुस जाते हैं। इसके संपर्क में आने पर तेजी से जलन महसूस होती है और लोगों की तुरंत मौत हो सकती है।
सफेद फॉस्फोरस बम अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित नहीं हैं।लेकिन उनके उपयोग को सख्ती से नियंत्रित किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय कानून सफ़ेद रंग के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है। भारी आबादी वाले नागरिक क्षेत्रों में फास्फोरस के गोले। हालाँकि, सैनिकों को कवर करने के लिए खुले स्थानों में उनके उपयोग की अनुमति है।
सफ़ेद फ़ॉस्फ़ोरस एक मोमी ठोस पदार्थ है जो आसानी से जल जाता है और इसका उपयोग रासायनिक निर्माण और धुआँ युद्ध सामग्री में किया जाता है। सफेद फास्फोरस के संपर्क में आने से हो सकता है
कारण:
• जलन और चिड़चिड़ापन
• लिवर किडनी, हृदय, फेफड़े या हड्डी की क्षति और मौत हो जाती है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1972 में एक प्रस्ताव पारित कर आग लगाने वाले हथियारों को "डरावनी दृष्टि से देखे जाने वाले हथियार" की श्रेणी में रखा। 1980 में, दुनिया कुछ ऐसे हथियारों पर प्रतिबंध लगाने या उनके उपयोग को सीमित करने पर सहमत हुई जो नागरिकों को बहुत अधिक दर्द या नुकसान पहुंचाते हैं। इस समझौते का प्रोटोकॉल III उन हथियारों के उपयोग को प्रतिबंधित करता है जो चीजों को आग लगाते हैं।
नागरिकों के विरुद्ध या ऐसे तरीके से, जिससे तथाकथित "संपार्श्विक क्षति" आसानी से हो सकती है, आग लगाने वाले हथियारों का उपयोग निषिद्ध है।
इजराइल ने फिलिस्तीन पर फास्फोरस बम दागे हैं। फिलिस्तीन की न्यूज एजेंसी
'वाफा' के मुताबिक, इजराइली सेना ने गाजा से लगे हुए अल-करामा शहर पर इजराइल ने प्रतिबंधित फास्फोरस बम का इस्तेमाल किया है। ये बम जिस इलाके में गिरते हैं वहां ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। इसके कण इतने छोटो होते हैं। कि मानव शरीर में घुस जाते हैं।
वहीं, रातभर में इजराइल ने गाजा में हमास के 200 ठिकानों पर हमले किए। इजराइली एयरफोर्स ने बताया है कि उन्होंने हमास कमांडर मोहम्मद देइफ के पिता के घर पर अटैक किया है। टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में देइफ के भाई की मौत हुई है।
मोहम्मद डेफ़ के बारे मेंमोहम्मद डेफ़ एक फ़िलिस्तीनी उग्रवादी और हमास की सैन्य शाखा, इज़्ज़-ए-दीन अल-क़सम ब्रिगेड के सर्वोच्च सैन्य कमांडर हैं। मोहम्मद मसरी का जन्म 1965 में गाजा पट्टी में खान यूनिस शरणार्थी शिविर में हुआ था, जिसे 1948 के अरब युद्ध के बाद स्थापित किया गया था। इजरायली युद्ध, विकिपीडिया
जन्म: 12 अगस्त 1965 (उम्र 58 वर्ष), खान यूनिस पत्नी: विदाद डेफ़ (मृत्यु 2007-2014) पार्टी: हमास
राष्ट्रीयता: फ़िलिस्तीनी
बच्चे: सारा डेफ़, अली डेफ़
पूरा नाम: मोहम्मद दीब इब्राहिम अल-मस्ती
अन्य नाम: अबू खालिद
देइफ को 7 से ज्यादा बार मारने की कोशिश हुई।
देइफ सालों से इजराइल की "मोस्ट वांटेड" लिस्ट में टॉप पर है। इजराइल ने 2021 में उसे 7 बार मारने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। अमेरिका का विदेश विभाग उसे आतंकवादी घोषित कर चुका है। अमेरिका के मुताबिक 2014 में जब इजराइल और हमास के बीच जोरदार संघर्ष हुआ, उस दौरान देइफ ने ही हमास की आक्रामक रणनीति बनाई थी।
2014 में, इजराइली सेना ने एक घर पर हमले कर देइफ को जान से मारने की कोशिश की। इसमें भी वो नाकाम रही, हमले में देइफ की पत्नी और सात महीने का बेटा और एक 3 साल की बेटी मारी गई। न्यूयॉर्क टाइम्स ने सुरक्षा मामलों के एक्सपर्ट और इजराइली पत्रकार रोनेन बर्गमैन के मुताबिक देइफ हमास का एकमात्र मिलिट्री कमांडर है जो इतने लंबे समय से जीवित है।
इतनी कोशिशों के बावजूद देइफ के न मारे जाने की वज़ह से उसको 'बुलेट प्रूफ लीजेंड' कहा जाता है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में इजराइली अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि देइफ ने यरुशलम और तेल अवीव में बसों और सैनिकों को टारगेट किया है।
लेबनान के बाद सीरिया से भी इजराइल पर हुए हमले लेबनान के बाद इजराइल पर सीरिया ने भी हमला कर दिया है। इजराइली सेना ने दावा किया कि वह सीरिया की ओर से हो रही गोलीबारी और रॉकेट हमलों का जवाब तोपखाने और मोर्टार से दे रही है। सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने भी कहा है कि फिलिस्तीनी गुट ने सीरियाई क्षेत्र से इजराइल की तरफ रॉकेट हमले किए।
उधर, लेबनान की ओर से भी इजराइल पर दोबारा हमला किया गया। इज़राइल का समयमुताबिक़, लेबनान से 15 रॉकेट दागे गए। ये रॉकेट इजराइल के पश्चिमी शहर गलील और दक्षिणी तटीय शहर अश्कलोन में गिरे। जवाबी कार्रवाई में इजराइली सेना ने लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के 3 ठिकानों पर हमला किया है। इससे पहले 8 अक्टूबर को लेबनान बॉर्डर से हिजबुल्लाह ने इजराइल पर गोलीबारी की थी और बम दागे थे।
गाजा में UN के 9 कर्मचारी मारे गए
इजराइल और हमास की जंग में अब तक 2,150 लोगों की मौत हुई है। इनमें से करीब 1,200 इजराइली हैं। वहीं अब तक करीब 950 फिलिस्तीनियों ने भी जान गंवाई है। गाजा पर इजराइल के हमले में UN के 9 कर्मचारी मारे गए हैं। इस बीच मंगलवार रात अमेरिका का पहला ट्रांसपोर्ट प्लेन गोला-बारूद के साथ इजराइल के नेवातिम एयरबेस पर पहुंच गया।
अलजजीरा के मुताबिक, इजराइली हमलों के बाद पूरे गाजा में बिजली सप्लाई ठप हो गई है।
फिलिस्तीन की एनर्जी अथॉरिटी के चेयरमैन धाफर मेहेम ने वॉयस ऑफ फिलिस्तीन रेडियो को बताया कि गाजा पट्टी के एकमात्र पावर प्लांट में ईंधन खत्म हो गया है। इससे पूरे इलाके की बिजली सप्लाई रुक गई है।
अस्पतालों की इमरजेंसी लाइट सिर्फ 2 दिन चल सकेगी। 9 अक्टूबर को गाजा बॉर्डर पर कब्जे के बाद इजराइल ने गाजा तक होने वाली बिजली सप्लाई रोक दी थी
यरूशलम ईसाई, यहूदी और मुस्लिम, सभी इस शहर से प्यार करते हैं और अपने धर्म की अलग-अलग कहानियों से जोड़ते हैं, जिनके इतिहास को लेकर विवाद है। हिब्रू में इसे यरूशलाइम कहते हैं और अरबी में अल-कुदस। ये दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह शहर अक्सर विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच विभाजन और संघर्ष की कहानियों का केंद्र रहा है, लेकिन इसकी पवित्रता को लेकर सबकी एक ही राय है।
JRESULAM |
चर्च
ईसाईयों के क्वॉटर में चर्च ऑफ द होली स्पेलकर हैं, जो कि ईसाईयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ये जगह बीशू की कहानी, मृत्यु, सलीब पर चढ़ाने और पुनर्जीवन की कहानी का केंद्र है। अधिकांश ईसाई परंपराओं के अनुसार, गोलगोथा, या कलवारी की पहाड़ी पर यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था, उनका मकबरा स्पेलकर के अंदर स्थित है और यह उनके पुनरुत्थान का स्थल भी था। चर्च को अलग-अलग ईसाई संप्रदायों के प्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त रूप से मैनेज किया जाता है। मुख्य रूप से ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पेट्रिट, किसन फिगर रोमन कैथोलिक चर्च और आर्मीनियाई पैट्रिआर्क। इसके अलावा इथियोपियाई, कॉप्टिक और सीरियाई ऑर्थोडॉक्स चर्च भी इसमें मदद करते हैं। यह दुनिया भर के लाखों ईसाइयों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
मस्जिद
मुस्लिम क्वार्टर चारों में से सबसे बड़ा है। यहां पर डोम ऑफ रॉक और अल अक्सा मस्जिद स्थित हैं। इसे मुसलमानों को हरम अल-शरीफ या पवित्र जगह की तरह जाना जाता है। ये मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है और वक्फ नामक एक इस्लामिक ट्रस्ट के प्रशासन के अधीन है। मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर मुहम्मद ने यात्रा के दौरान मक्का से यहां तक का सफर तय किया और सभी प्रॉफेट की आत्माओं के साथ प्रार्थना की।
कुछ ही कदम की दूरी पर, डोम ऑफ द रॉक की आधारशिला है, मुस्लिम मानते हैं कि यहीं से वो जन्नत की की ओर गए थे। पूरे साल मुस्लिम पवित्र स्थान पर आते हैं, खासतौर पर रमजान के पवित्र महीने के दौरान हर शुक्रवार को हजारों की संख्या में मुसलमान यहां नमाज अदा करते हैं।
द वॉल
यहूदियों वाले हिस्से में कोटेल या वेस्टर्न वॉल है, ये दीवार पवित्र मंदिर का अवशेष है। उस मंदिर के अंदर यहूदियों का सबसे पवित्र स्थान था। यहूदियों का मानना है कि यही वो जगह है जहाँ आधारशिला रख पूरी दुनिया का निर्माण किया गया था और यही पर अब्राहम ने अपने बेटे आईजैक की कुर्बानी दी थीं। यहूदी मानते हैं कि कि 'डोम ऑफ द रॉक' 'होली' ऑफ होलीज' की जगह है। इस जगह की देखरेख रबी ऑफ द वेस्टर्न वॉल करती है और हर साल यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं, खासतौर पर छुट्टियों के समय
किंग डेविड प्राचीन इजराइल और यहूदा के संयुक्त साम्राज्य के दूसरे शासक थे. वह लगभग 1000 ईसा पूर्व में फले-फूले वह बेथलहम में पैदा हुए थे. उन्होंने यहूदी राजवंश की स्थापना की और इजराइल की सभी जनजातियों को एक ही राजा के अधीन एकजुट किया. वह एक लोहार भी थे
डेविड के बारे में कुछ और बातें:
• वह एक युवा चरवाहा थे,
• वह एक संगीतकार थे.
• उन्होंने पतिस्तियों के चैंपियन विशाल गोलियत को मारकर प्रसिद्धि प्राप्त की.
• वह एक योद्धा और भजन लिखने वाले के रूप में जाने जाते थे,
• वह 40 साल तक शासक रहे.
• उन्हें तीन बार राजा बनने के लिए अभिषिक्त किया गया था.
• वह दुनिया के सबसे अमीर आदमी थे.
• वह यहूदी, ईसाई और इस्लाम में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है;
बाइबिल में, राजा डेविड वाचा के सन्दूक को यरूशलेम ले आए। वाचा का सन्दूक एक संदूक था जिसमें दस आज्ञाएँ रखी हुई थीं, जिन्हें परमेश्वर ने मूसा के लिए सिनाई पर्वत पर खुदवाया था। यह इस्राएलियों के बीच ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक था।
राजा के रूप में डेविड का पहला कार्य यरूशलेम से लगभग 10 मील पश्चिम में, किर्जथ जेरीम से सन्दूक को हाल ही में कब्जा किए गए शहर यरूशलेम में ले जाना था। उसने सन्दूक को एक तम्बू में रखा जिसे उसने इसके लिए तैयार किया था। उसने बलिदान चढ़ाए, भोजन वितरित किया, और लोगों और अपने परिवार को आशीर्वाद दिया। उन्होंने तम्बू को प्रार्थना के निजी स्थान के रूप में उपयोग किया।
आर्क का ठिकाना इतिहास के स्थायी रहस्यों में से एक है। एक प्रसिद्ध दावा यह है कि बेबीलोनियों द्वारा बर्खास्त किए जाने से पहले इसने इथियोपिया तक अपना रास्ता खोज लिया था। जेरूसलम. ऐसा कहा जाता है कि यह अभी भी सिय्योन के सेंट मैरी के अक्सुम शहर में रहता है गिरजाघर।
राजा सुलैमान इस्राएल का तीसरा राजा और राजा का पुत्र था। डेविड. उन्हें जेडीदिया के नाम से भी जाना जाता था। सोलोमन को इसके लिए जाना जाता है:
• यरूशलेम में प्रथम मंदिर का निर्माण
• एकीकृत इसराइल का अंतिम राजा होना
• 40 वर्षों तक शासन किया,संभवतः लगभग 970-931 ई.पू.
• सभी व्यक्तियों में सबसे बुद्धिमान के रूप में जाना जाता है
• राजनीतिक लाभ और व्यक्तिगत कारणों से विवाह करनासोलोमन का मंदिर टेम्पल माउंट पर स्थित था
जेरूसलम. इसे 586 ईसा पूर्व में नबूकदनेस्सर ने नष्ट कर दिया था
बेबीलोन के राजा, जब उसने यरूशलेम पर विजय प्राप्त की। के खंडहर मंदिर बाद की पवित्र संरचनाओं के नीचे दबा हुआ है।
टेम्पल माउंट का पुनर्निर्माण 515 ईसा पूर्व में किया गया था। फारस के अचमेनियन राजवंश के संस्थापक साइरस द्वितीय ने 538 ईसा पूर्व में निर्वासित यहूदियों को यरूशलेम लौटने और मंदिर का पुनर्निर्माण करने का आदेश दिया था।
दूसरे मंदिर का पुनर्निर्माण 37 ईसा पूर्व-4 ईस्वी में यहूदिया के राजा हेरोदेस महान द्वारा किया गया था। निर्माण 20 ईसा पूर्व में शुरू हुआ और 46 वर्षों तक चला। 37 ईसा पूर्व में, राजा हेरोदेस ने टेम्पल माउंट का विस्तार किया और जनता की सहमति से मंदिर का पुनर्निर्माण किया।
वर्तमान टेम्पल माउंट का निर्माण अब्द अल-मलिक द्वारा किया गया था, जिन्होंने चांदी के गुंबद वाली पत्थर की मस्जिद अल अक्सा के साथ पास की लकड़ी की संरचना को बदलने पर काम शुरू किया था। उनके बेटे, खलीफा अल-वालिद 1 ने 8वीं शताब्दी की शुरुआत में इसका निर्माण पूरा किया।
शांति की खातिर यहूदियों ने स्वेच्छा से टेम्पल माउंट का नियंत्रण जॉर्डन को दे दिया।
333 ईसा पूर्व. में इस्सुस में सिकंदर महान की जीत के बाद यरूशलेम यूनानी प्रभाव में आ गया, हेलेनिस्टिक काल के दौरान यरूशलेम समृद्ध था, लेकिन शहर की चौकस आबादी और यूनानी संस्कृति को अपनाने वाले यूनानी अभिजात वर्ग के बीच एक अंतर बढ़ गया। यह अंतर अंततः मैकाबीन मैकाबीन विद्रोह का कारण बना।
• 63 ईसा पूर्व में रोमन साम्राज्य ने यरूशलेम पर कब्ज़ा कर लिया। रोमन जनरल पोम्पी द ग्रेट ने विजय का नेतृत्व किया।
• रोमन एक स्थानीय ग्राहक राजा के माध्यम से शासन करते थे। उन्होंने बड़े पैमाने पर अनुमति दी यहूदिया में निःशुल्क धार्मिक अभ्यास।
• रोमनों ने यहूदिया के शासक हस्मोनियन राजवंश को अपदस्थ कर दिया। 40 ईसा पूर्व में, रोमन सीनेट ने हेरोदेस को महान "यहूदियों का राजा" घोषित किया। हेरोदेस महान एक क्रूर सैन्य कमांडर था जिसने यीशु के जन्म के समय यहूदिया पर शासन किया था।
• प्रथम यहूदी-रोमन युद्ध के दौरान रोमनों ने यरूशलेम पर फिर से कब्ज़ा कर लिया, जो 66-73 ई. तक चला। यह युद्ध यहूदिया की यहूदी आबादी और रोमन अधिकारियों के बीच तनाव के कारण छिड़ गया था। 66 ईस्वी में एक पूर्ण पैमाने पर विद्रोह शुरू हो गया था जब किसी ने एक पवित्र स्थल को अपवित्र करते हुए एक आराधनालय के बाहर मूत्र से भरा एक बर्तन खाली कर दिया था।
The Roman Empire |
1100 वर्षों से अधिक, जब तक 1453 में तुर्क विजय का सबसे महत्वपूर्ण एकल कारण बीजान्टियम का पतन उसका था बार-बार दुर्बल करने वाले गृह युद्ध। बीजान्टिन साम्राज्य का विकास हुआ एक विशिष्ट, यूनानी-प्रभावित सदियों से चली आ रही पहचान, लेकिन इसने इसे संजोना जारी रखा इसके पतन तक रोमन जड़ें।
637 ई. के युद्ध में अरब सेना ने सासैनियन राजवंश को हराया अल-कादिसियाह। यह लड़ाई अल-शिराह के पास लड़ी गई थी, जो वर्तमान में है। दिन इराक. अरबों की जीत से सासैनियन राजवंश का अंत हो गया फारस में अरब और इस्लामी शासन की शुरुआत। 637 ई. में घटी अन्य घटनाओं में शामिल हैं:
• ख़लीफ़ा उमर के अधीन यरूशलेम पर मुसलमानों की विजय
• तीन महीने की घेराबंदी के बाद सीटीसिफॉन का पतन
• शहर पर मुस्लिम विजय, जिसने अरब नियंत्रण को मजबूत किया फिलिस्तीन के ऊपर इस्लाम सैन्य विजय, व्यापार, तीर्थयात्रा आदि के माध्यम से फैला मिशनरी
613 में हजरत मुहम्मद ने उपदेश देना शुरू किया तब मक्का, मदिना सहित पूरे अरब मैं यहूदी धर्म, पेगन, मुशरिक, सवायन, ईसाई आदि धर्म थे। लोगों ने इस उपदेश का विरोध किया। विरोध करने वालों में यहूदी सबसे आगे थे। यहूदी नहीं चाहते थे कि हमारे धर्म को बिगाड़ा जाए, जबकि ह. मुहम्मद धर्म को सुधार रहे थे। बस यही से
फसाद और युद्ध की शुरुआत हुई।
सन् 622 में हजरत अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच कर गए। इसे 'हिजरत' कहा जाता है। मदीना में हजरत ने लोगों को इक्ट्ठा करके एक इस्लामिक फौज तैयार की और फिर शुरू हुआ जंग का सफरा खंदक, खयर, यादर और फिर मक्का को फतह कर लिया गया।
सन् 630 में पैगंबर साहब ने अपने अनुयायियों के साथ कुफ्फार-ए-मक्का के साथ जंग की,
जिसमें अल्लाह ने गैब (चमत्कार) से अल्लाह और उसके रसूल की मदद फरमाई। इस जंग में इस्लाम के मानने वालों की फतह हुई। इस जंग को जंग-ए-बदर कहते हैं।
632 ईसवी में हजरत मुहम्मद सल्ल. ने दुनिया से पर्दा कर लिया। उनकी वफात के बाद तक लगभग पूरा अरब इस्लाम के सूत्र में बंध चुका था। इसके बाद इस्लाम ने यहूदियों को अरब से बाहर खदेड़ दिया। वह इसराइल और मिस्र में सिमट कर रह गए।
इस्लाम की प्रारंभिक जंग हजरत मुहम्मद सल्ल. की वफात के मात्र सौ साल में इस्लाम समूचे अरब जगत का धर्म बन चुका था। 7वीं सदी की शुरुआत में इसने भारत, रशिया और अफ्रीका का रुख किया और मात्र 15 से 25 वर्ष की जंग के बाद आधे भारत, अफ्रीका और रूस पर कब्जा कर लिया।
धर्मयुद्ध क्या थे? (What Were the Crusades?)
मुसलमानों और ईसाइयों के बीच धार्मिक युद्धों की एक श्रृंखला पवित्र स्थलों पर अपना नियंत्रण सुरक्षित करने को कहा जाता है। धर्मयुद्ध। 1096 से 1291 तक आठ प्रमुख धर्मयुद्ध अभियान मध्य पूर्व भूमि में हुआ.
11वीं सदी के अंत में पश्चिमी यूरोप एक बन गया सर्वोच्च शक्ति अपने अधिकारों के साथ।
लेकिन फिर भी, वे कई अन्य भूमध्य सागर से पिछड़ गए बीजान्टिन साम्राज्य और इस्लामी साम्राज्य जैसी सभ्यताएँ।
(First Crusade) (1096 - 1099) |
पहला धर्मयुद्ध (First Crusade) (1096 - 1099)
अगस्त 1096 में क्रूसेडरों की चार सेनाओं के साथ पहला धर्मयुद्ध शुरू हुआ पश्चिमी यूरोपीय क्षेत्र शामिल हुए और सेनाएँ बनाईं। वे ह्यूज हैं वर्मां डोइस, बोउलॉन के गॉडफ्रे, सेंट-गिल्स के रेमंड, और बोहेमोंड टारंटो. इस बैंड का नाम "पीपुल्स क्रूसेड" रखा गया और इसका नेतृत्व लोकप्रिय ने किया उपदेशक, पीटर द हर्मिट। प्रारंभ में, एलेक्सियस ने उन्हें आराम करने के लिए कहा, लेकिन वे अगस्त की शुरुआत में बोस्पोरस को नजरअंदाज कर दिया गया और पार कर लिया गया। के बीच पहली भिड़ंत में मुसलमानों और क्रुसेडर्स के बीच, तुर्की सेना ने यूरोपीय लोगों को हरा दिया सिबोटस काउंट एमिचो ने क्रुसेडर्स के एक अन्य समूह का नेतृत्व किया और एक श्रृंखला को अंजाम दिया
1096 में राइनलैंड के विभिन्न शहरों में त्रासदियाँ। इस अधिनियम ने यहूदियों को प्रभावित किया- ईसाई संबंध. एलेक्सियस ने सभी चार मुख्य सेनाओं को शपथ लेने का आदेश दिया तुर्कों की ज़मीन उसे सौंपने में वफ़ादार। बोहेमोंड को छोड़कर बाकी सभी ने ले लिया इस पर शपथ ली और नाइसिया पर हमला कर दिया। जून के अंत में, अनातोलिया में सेल्जुक राजधानी एलेक्सियस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
प्रथम धर्मयुद्ध (1095-99) के दौरान एलेक्सियस आई कॉमनेनस बीजान्टिन सम्राट था। वह कॉमनेनस राजवंश के प्रथम थे। एलेक्सियस ने पोप अर्बन द्वितीय और फ़्लैंडर्स के काउंट रॉबर्ट को पत्र लिखकर आमंत्रित किया
एशिया माइनर को फिर से जीतने में उसकी मदद करने के लिए पश्चिम से भाड़े के सैनिक आए। धर्मयोद्धाओं'
प्राथमिक लक्ष्य यरूशलेम को ईसाईजगत के लिए पुनः प्राप्त करना था। हालाँकि, एलेक्सियस का विदेश नीति अनातोलिया में शाही सत्ता को पुनः स्थापित करने पर केंद्रित थी।बीजान्टियम के लिए धर्मयुद्ध एक सफलता थी। एलेक्सियस ने कई महत्वपूर्ण शहरों और द्वीपों को पुनः प्राप्त किया, जिनमें शामिल हैं:
• निकिया, जिसने 1097 में सम्राट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था
• डोरिलियन, जहां क्रुसेडर्स ने जीत हासिल की, जिससे बीजान्टिन सेनाओं को पश्चिमी एशिया माइनर के अधिकांश हिस्से पर कब्ज़ा करने की अनुमति मिली
क्रुसेडर्स की कार्रवाइयों ने बीजान्टिन संरक्षित क्षेत्रों पर तेजी से अतिक्रमण किया एलेक्सियस की विदेश नीति को निराश किया।
यरूशलेम का पतन
भले ही बीच संबंध क्रुसेडर्स और बीजान्टिन नेता बिगड़ गया, वे एक साथ जुड़ गए और पर कब्जा करने के लिए अनातोलिया तक मार्च किया महान सीरियाई शहर अन्ताकिया। वे सफल हुए और अपना मार्च शुरू किया
यरूशलेम की ओर और कब्ज़ा कर लिया मिस्र के फातिमिड्स। फिर उन्होंने जबरदस्ती की शहर सरकार को आत्मसमर्पण करना होगा जेरूसलम पर भी क्रुसेडर्स ने हमला किया सैकड़ों महिलाएं, बच्चे और इसे प्राप्त करने के लिए यरूशलेम के लोगों को। और आख़िरकार, उन्होंने इसे हासिल कर लिया।
यरूशलेम का पतन |
दूसरा धर्मयुद्ध (Second Crusade) 1147 - 1149
क्रुसेडर्स ने पहले धर्मयुद्ध में अपना लक्ष्य हासिल किया समय की अप्रत्याशित रूप से छोटी अवधि और कई योद्धा चले गए अपने घरों से क्षेत्रों पर विजय प्राप्त करने के लिए। क्रूसेडर के राज्य थे जेरूसलम, अन्ताकिया, एडेसा और त्रिपोली। 1130 तक क्रुसेडर्स का शासन रहा इस बीच, पवित्र भूमि पर मुस्लिम ताकतों ने ताकत हासिल कर ली और विरोध में खड़ी हो गईं ईसाइयों को अपनी पवित्र भूमि फिर से प्राप्त करने के लिए। 1144 में, सेल्जुक के जनरल, मोसुल के गवर्नर ज़ंगी ने कब्जा कर लिया एडेसा और मुसलमानों ने सबसे उत्तरी क्रूसेडर राज्य का अधिग्रहण किया। फिर क्रुसेडर्स ने दो महान लोगों के नेतृत्व में एक और क्रूसेड बुलाया शासक, फ्रांस के राजा लुई VII और जर्मनी के राजा कॉनराड III और 1147 में दूसरा धर्मयुद्ध शुरू हुआ(Second Crusade) 1147 - 1149 |
नूर अल-दीन के लिए कई मेल हैं, जिनमें धर्मयुद्ध में एक प्रमुख व्यक्ति और एक अरबी नाम भी शामिल है।
• नाम: नूर अल-दीन एक अरबी नाम है जिसका अनुवाद "विश्वास की रोशनी" है।
• चित्र: नूर अल-दीन (1118-1174) एक मुस्लिम शासक था जिसने सीरिया की सेनाओं को पुनर्गठित किया था। वह ज़ेंगिड राजवंश का सदस्य था, जिसने सीरियाई प्रांत पर शासन किया था
सेल्जुक साम्राज्य. उन्होंने 1146 से 1174 तक शासन किया। नूर अल-दीन ने मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने और ईसाई क्रूसेडर्स के खिलाफ संयुक्त मोर्चा स्थापित करने की मांग की। उसने सीरिया और मिस्र पर अधिकार कर लिया। उन्होंने इसकी नींव भी रखी 1187 में सलादीन ने यरूशलेम पर विजय प्राप्त की।
• नूर अल-दीन उस सेना में था जिसने 1144 में क्रुसेडर्स से एडेसा शहर को पुनः प्राप्त किया था। क्रुसेडर्स द्वारा दमिश्क की असफल घेराबंदी के प्रयास के बाद उसने पश्चिम की ओर आगे बढ़ने का भी फैसला किया।
तीसरा धर्मयुद्ध (1187-1192)
यरूशलेम के क्रूसेडरों ने मिस्र पर कब्ज़ा करने के लिए कई प्रयास किए। 1169 में, नूर अल-दीन ने काहिरा पर कब्ज़ा कर लिया और क्रूसेडर सेना को उस जगह से हटने के लिए मजबूर कर दिया। शिरकुह की मृत्यु के बाद, सलादीन सत्ता में आया और 1174 में नूर अल-दीन की मृत्यु के बाद एक अभियान शुरू किया।
1187 में, सलादीन (मिस्र के पूर्व सुल्तान) यरूशलेम के क्रूसेडर साम्राज्य के खिलाफ खड़े हुए और हटिन की लड़ाई में ईसाई सेना को नष्ट कर दिया। इस लड़ाई के अंत में, सलादीन ने अधिकांश क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले लिया।
उम्रदराज़ सम्राट फ्रेडरिक बारब्रोसा, फ्रांस के राजा फिलिप द्वितीय और इंग्लैंड के राजा रिचर्ड प्रथम के कारण मुसलमानों ने क्रुसेडर्स साम्राज्य को आसानी से हरा दिया। सितंबर 1911 में अरसुफ की लड़ाई में रिचर्ड की सेना ने सलादीन को हरा दिया। यह वास्तव में की सच्ची लड़ाई के रूप में जाना जाता था तीसरा धर्मयुद्ध.
Third Crusade (1187–1192) |
चौथा धर्मयुद्ध: कॉन्स्टेंटिनोपल का पतन (Fourth Crusade: Fall of Constantinople)
1198 में, पोप इनोसेंट III ने एक नए धर्मयुद्ध का सामना करने के लिए आमंत्रित किया यूरोप और बीजान्टियम द्वारा निर्मित संघर्ष। उसने भेजा क्रूसेडर्स अपने मिशन को भटकाने और पतन करने के लिएबीजान्टिन सम्राट, एलेक्सियस III (बीजान्टिन सम्राट) और पोप 1203 के मध्य में इनोसेंट II एलेक्सियस IV बन गया। फिर, एलेक्सियम IV ने बीजान्टिन चर्च को प्रस्तुत करने का प्रयास किया रोम लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। 1204 की शुरुआत में, एलेक्सियस चतुर्थ उनके महल में हत्या कर दी गई। फिर, क्रुसेडर्स ने युद्ध की घोषणा कर दी कॉन्स्टेंटिनोपल और उन्हें हरा दिया। इससे पतन हो गया चौथे धर्मयुद्ध के अंत में कॉन्स्टेंटिनोपल।
Fourth Crusade: Fall of Constantinople |
अंतिम धर्मयुद्ध (1208-1271), Last Crusade (1208–1271)
13वीं शताब्दी में विभिन्न धर्मयुद्ध हुए, लेकिन कोई भी पराजित नहीं हुआ मुस्लिम सेनाएँ अपनी पवित्र भूमि से। 1208-1229 में पाँचवाँ धर्मयुद्ध शुरू कर दिया। उस दौरान अल्बिजेन्सियन क्रूसेड ने जबरदस्ती करने की कोशिश की फ़्रांस में विधर्मी कैथरी या ईसाई धर्म का अल्बिजेन्सियन संप्रदाय। में 1211 - 1225, बाल्टिक धर्मयुद्ध ने बुतपरस्तों पर काबू पाने की कोशिश की ट्रांसिल्वेनिया।
1212 में बच्चों का धर्मयुद्ध हुआ, जिसमें हजारों युवा शामिल हुए बच्चों को यरूशलेम की ओर ले जाया गया। लेकिन कई इतिहासकार ऐसा नहीं करेंगे इसे वास्तविक धर्मयुद्ध के रूप में पहचानें। लेकिन ये आंदोलन कभी पहुंच नहीं सका पवित्र भूमि।
पाँचवें में क्रूसेडरों ने ज़मीन और समुद्र दोनों से मिस्र पर हमला किया धर्मयुद्ध. जैसे ही 1216 में पोप इनोसेंट तृतीय की मृत्यु हुई, उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया 1221 में मुस्लिम रक्षक सलादीन का भतीजा, अल-मलिक अल-कामिल।
1229 में छठा धर्मयुद्ध शुरू किया। उस समय के दौरान
सम्राट फ्रेडरिक द्वितीय सहमत हो गये का शांतिपूर्ण हस्तांतरण हो जेरूसलम से क्रूसेडर नियंत्रण।1248 से 1254 तक, लुई IX फ़्रांस ने विरुद्ध धर्मयुद्ध चलाया मिस्र, लेकिन वह असफल रहा. यह था सातवें धर्मयुद्ध का नाम दिया गया।p
sixth crusade 1229 |
धर्मयुद्ध का अंत
1291 में शेष एक क्रूसेडर शहर एकर मुस्लिम के हाथ में आ गया मामलुक्स। सीमित लक्ष्यों के साथ छोटे-मोटे धर्मयुद्ध छोड़ दिये गये।
धर्मयुद्ध के प्रभाव
धर्मयुद्ध के अंत में मुसलमानों ने यूरोपियों को हरा दिया। इसके दौरान इस अवधि में, रोमन कैथोलिक चर्च ने भारी धन का अनुभव किया, लेकिन धर्मयुद्ध की समाप्ति के बाद पोप की शक्ति में वृद्धि हुई। धर्मयुद्ध के परिणामस्वरूप, व्यापार और परिवहन में सुधार हुआ। यह युद्ध में परिवहन और आपूर्ति की निरंतर मांग पैदा हुई विनिर्माण और जहाज निर्माण क्षेत्र। धर्मयुद्ध के बाद, अनेक इतिहासकारों ने यूरोप के बारे में जानने में रुचि दिखानी शुरू कर दी, क्योंकि ऐसा हो सकता है पुनर्जागरण का मार्ग प्रशस्त किया है। हालाँकि, इस्लाम अनुयायी थे क्रूसेडर्स को अनैतिक, खूनी और बर्बर मानते थे।
THE CRUSADER STATES (OUTREMER) OF THE 12" CENTURY |
यरूशलेम पर 400 वर्षों तक ओटोमन्स का शासन रहाइस्लाम में इसकी धार्मिक स्थिति. इस दौरान यरूशलेम सुलेमान के अधीन नवीनीकरण और शांति की अवधि का आनंद लिया शानदार। सुलेमान ने उन दीवारों का निर्माण किया जो इसे परिभाषित करती हैं। यरूशलेम का पुराना शहर. यरूशलेम को की राजधानी इस्तांबुल से शासित किया जाता था। तुर्क साम्राज्य। 1872 तक यरूशलेम का कैंटन बना
The Ottoman Empire |
दमिश्क के ग्रांड प्रांत का हिस्सा। 16वीं शताब्दी के अंत तक ओटोमन साम्राज्य में दुनिया की सबसे बड़ी यहूदी आबादी थी। 16वीं शताब्दी के दौरान साम्राज्य का विस्तार यमन और इराक से लेकर सर्बिया, रोमानिया और हंगरी तक हुआ। यहूदी अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और मोरक्को में भी बस गए।
ओटोमन सरकार ने 1882 में ओटोमन फ़िलिस्तीन में यहूदी आप्रवासन को प्रतिबंधित कर दिया था। प्रतिबंध इसलिए लगाए गए थे क्योंकि कुछ यहूदी आप्रवासी ज़ायोनी विचारों से प्रेरित थे और उनका फ़िलिस्तीन में राजनीतिक उद्देश्य था। 1882 और 1908 के बीच, लगभग 1,600 यहूदी अप्रवासी प्रतिवर्ष फ़िलिस्तीन में प्रवेश करते थे, उस अवधि के दौरान उनकी कुल संख्या लगभग 50,000 थी।
ओटोमन युग की शुरुआत में, अनुमानित 1,000 यहूदी परिवार देश में रहते थे। इस समुदाय में यहूदियों के वंशज शामिल थे जिन्होंने कभी भूमि नहीं छोड़ी थी और साथ ही उत्तरी अफ्रीका और यूरोप से आए अप्रवासी भी शामिल थे। ओटोमन साम्राज्य आधिकारिक तौर पर 1922 में समाप्त हो गया। अंतिम ओटोमन शासक, सुल्तान मेहमद VI ने सिंहासन छोड़ दिया। तुर्की के स्वतंत्रता संग्राम (1919-1922) के दौरान वर्षों की लड़ाई के बाद साम्राज्य का पतन हो गया।ऑटोमन साम्राज्य का पतन निम्न कारणों से हुआ:
बाल्कन युद्ध (1912-13), जिसके परिणामस्वरूप साम्राज्य का 33 प्रतिशत नुकसान हुआ
शेष क्षेत्र और उसकी जनसंख्या का 20 प्रतिशत तक• प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी के साथ ओटोमन साम्राज्य का गुप्त गठबंधन (1914-18)
• राष्ट्र राज्य की अवधारणा एवं आधुनिकीकरण का प्रभाव
• व्यक्तियों द्वारा बड़े क्षेत्रों पर स्थायी नियंत्रण कर ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी जाती है। यूरोपीय सामंतवाद जैसा दिखता था
ओटोमन साम्राज्य का पतन भी निम्न कारणों से हुआ:
प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की ओर से लड़ना और साम्राज्य को भंग करने वाली युद्धोत्तर संधियों में पराजय झेलना
• तुर्की की ग्रैंड नेशनल असेंबली ने औपचारिक रूप से ओटोमन सल्तनत को समाप्त कर दिया 1 नवंबर, 1922 को• ओटोमन राजवंश की भूमि से सुल्तान को अवांछित व्यक्ति घोषित किया जा रहा है। 1299 से शासन किया था
29 अक्टूबर, 1923 को तुर्की को एक गणतंत्र घोषित किया गया था, जब एक सैन्य अधिकारी मुस्तफा कमाल अतातुर्क (1881-1938) an army officer, founded the independent Republic of Turkey.
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष की शुरुआत प्रथम विश्व युद्ध के समय हुई थी. ओटोमन यानी उस्मानी साम्राज्य की हार के बाद ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर कब्जा हासिल कर लिया था. फिलिस्तीन में यहूदी, अल्पसंख्यक थे, जबकि अरब बहुसंख्यक थे. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को फिलिस्तीन में यहूदी मदरलैंड बनाने का काम सौंपा था।
ब्रिटिश शासन ने बाल्फोर घोषणा की जिसमें फिलिस्तीन में "यहूदियों के लिए एक अलग राज्य' बनाने के लिए अपना समर्थन देने का संकेत दिया. इसमें कहा गया, 'ऐसा कुछ भी नहीं किया जाएगा जो यहां मौजूद गैर-यहूदी समुदायों के नागरिक और धार्मिक अधिकारों के खिलाफ हो'.
1917 पूर्व-ब्रिटिश जनादेश फ़िलिस्तीन
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटेन ने मध्य पूर्व में विभिन्न समूहों का समर्थन हासिल करने के लिए कई परस्पर विरोधी समझौते किए। सबसे उल्लेखनीय बाल्फोर घोषणा थी - एक सार्वजनिक प्रतिज्ञा जिसमें "फिलिस्तीन में यहूदी लोगों के लिए एक राष्ट्रीय घर की स्थापना" का वादा किया गया था।
31 अक्टूबर, 1917 को, ब्रिटिश सेना ने फिलिस्तीन को ओटोमन-तुर्कों से जीत लिया, और इस क्षेत्र पर 1,400 वर्षों के इस्लामी शासन को समाप्त कर दिया। 1920 में, इसने ब्रिटिश जनादेश फिलिस्तीन पर अपना 28 साल का शासन शुरू किया। फ़िलिस्तीन में ब्रिटिश शासनादेश से पहले, यहूदी कुल जनसंख्या का लगभग छह प्रतिशत थे।
1922 से 1947 तक पूर्वी और मध्य यूरोप से यहूदियों का पलायन बढ़ गया क्योंकि बुद्ध और फिर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों को उत्पीड़न और अत्याचारों का सामना करना पड़ा. फिलिस्तीन के लोग शुरू से ही यहूदियों को बसाने के खिलाफ थे. 1929 में हेब्रोन नरसंहार में बहुत सारे यहूदी मारे गए थे, ये दंगा यहूदियों के बसने के खिलाफ हुए फिलिस्तीनी दंगों का एक हिस्सा था.
फिलिस्तीन में जैसे-जैसे यहूदी बढ़ते गए कई फिलिस्तीनी विस्थापित होते गए और यहीं से दोनों के बीच हिंसा और संघर्ष की शुरुआत हुई. 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को यहूदी और अरबों के लिए दो अलग-अलग राष्ट्र में बांटने का प्रस्ताव पास किया, यहूदी नेतृत्व ने इस पर हामी भरी, लेकिन अरब पक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया।
ब्रिटिश शासन, दोनों के बीच संघर्ष खत्म करने में नाकाम रहा और पीछे हट गया. इधर यहूदी नेतृत्व ने इजरायल की स्थापना की घोषणा कर दी. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने तत्कालीन फिलिस्तीन को 'स्वतंत्र अरब और यहूदी राज्यों में विभाजित करने का जो प्रस्ताव पारित किया, उसे अरब नेताओं ने खारिज कर दिया था.
14 मई 1948 को यहूदी नेतृत्व ने एक नए राष्ट्र की स्थापना की घोषणा की और इस तरह इजरायल अस्तित्व में आया. इसी साल कई अरब देशों ने इजरायल पर हमला बोल दिया. इस लड़ाई में फिलिस्तीनी लड़ाकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. इस जंग में यहूदी भारी पड़े. इजरायली सुरक्षाबलों ने 7.5 लाख फिलिस्तीनियों को इलाके से खदेड़ दिया और उन्हें पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा.
युद्ध अगले साल शांत हुआ और संयुक्त राष्ट्र की ओर से आवंटित क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा फिलिस्तीनियों ने गंवा दिया. इजरायल के यहूदियों ने इसे 'स्वतंत्रता संग्राम' कहा, जबकि फिलिस्तीनियों ने इसे 'द कैटास्ट्रोफ' या 'अल-नकवा' (तबाही) कहा.
साल 1967 में एक बार फिर फलस्तीन और इजराइल के बीच युद्ध हुआ. लेकिन इस बार इजराइल ने और भी ज्यादा आक्रामक प्रहार किया और फलस्तीन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया. उसने बेस्ट बैंक और गाजा दोनों पर कब्जा जमाया.
गाजा स्ट्रिप को तो उसने बाद में छोड़ दिया, मगर वेस्ट बैंक को अपने कंट्रोल में ही रखा. ऊपर से पूर्वी यरुशलम भी इजराइल के कंट्रोल में आ गया. फलस्तीन लोग अब वेस्ट बैक और गाजा स्ट्रिप में ही रहते हैं.
PUBLISHED BY MUKESH KUMAR
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