आप सभी 23 अगस्त का इंतजार कर रहे हैं जब हमारे chandrayaan-3 चंद्रमा के दक्षिणी छोड़ पर जाकर लैंड करेगा। यहां पर आज तक कोई भी देश का लैन्डर lend नहीं कर सका है।
अब इसी स्थिति में हमारी पुरानी यादें याद आ रहा है कि बिल्कुल ऐसे ही chandrayaan-2 के समय भी किया गया था। हमारे ही द्वारा हमारे इसी प्रकार के माहौल के द्वारान हमें यह पता चला कि लास्ट 50 minute of terror उसे समय हमें सूचना मिली lender robar और Vikram praGyan के बीच का संपर्क टूट गया है। यह सुनकर बहुत दुख हुआ उस समय समस्त भारतीयों ने अपने पॉजिटिव से ISRO को हिम्मत दिया और उसे दौड़ के बाद हमारा ISRO फिर खड़ा हुआ है। जहां ISRO और मजबूती से चंद्रयान-3 के साथ खड़ा हुआ है। क्यों कि हमने चंद्रयान-2 में जो हमसे संपर्क कर टूट गया था। हम उसे अच्छे से अध्ययन करके फिर चंद्रयान-3 को लॉन्चिंग किया है। इस बार हम कोई गड़बड़ी करना नहीं चाहते हैं। इस बार हमारे chandrayaan-3 में 2 इंजन लगाई हुई है अगर एक इंजन बंद हुआ तो दूसरा इंजन स्टार्ट हो जाएगा
chandrayaan-3 लैंड होकर ही रहेगा क्योंकि हमारा चंद्रयान इस बार कुछ ज्यादा ही टेक्नोलॉजी से भरा हुआ है। चंद्रयान-3 लैंड जब भी करेगा तो 150 मीटर पर जाकर चेक करेगा कि मुझे जाना चाहिए या नहीं वहां का यह फोटो खींचेगा और अपने पास जो डाटा है उससे यह मैच करेगा कि यह सही डांटा है या नहीं कहीं कोई खाई तो नहीं है अगर कोई खाई ना रहेगी और जगह ठीक होगी तो लैंड होगी कोई खाई होगी तो वह 150 मीटर horizontal line आगे जाकर फिर से चेक करेगा वहां की फोटो खींचेगा और दिखेगा कि यह जगह सही है कि नहीं अगर सही होगा तो वहाँ लैंड करेगा। अगर सही जगह नहीं मिली तो 27 अगस्त को लैंड करने की कोशिश की जाएगी इस समय ISRO उनके ऊपर निर्णय करने के लिए छोड़ दिया है कि अब निर्णय तुम करो कि कब तुम्हें उतरना है। 'चांद पर' आज हमारे ISRO के टेक्नोलॉजी ने हमारे लैंडर को 400000Km चांद पर पहुंचा तो दिया लेकिन अब यह बोल रहा है। कि तुम अपने फैसला खुद ले लेना तुम्हें लगे कि मेरे लिए लैंड करने का सही जगह हो तो लैंड कर जाना।
जब चंद्रयान का lendar वहां उतरेगा तो उसमें से robar बाहर निकलेगा और अपने गोले-गोले पहियों से वहां के मिट्टी पर अशोक स्तंभ और ISRO का Logo का छाप छोड़ता जाएगा।
हमने जब chandrayaan-2 भेजा था। उसमें 3 भाग था।
01. Orbetar
02. Lender
03. Robar pragyan
तीन हिस्से थे चंद्रयान-2 का भेजा हुआ Orbetar आज भी चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है। हर भारतीय का रोम-रोम पुलकित हो उठा जब चंद्रयान-3 का चंद्रयान-2 के Orbetar से मुलाकात हुआ और chandrayaan-2 के Orbetar ने chandrayaan-3 से कहा कहां आइए आपका स्वागत है। हेलो दोस्त तुम आ गए देखो तुम्हें वहां जाना है जहां हमारे पहले वाले chandrayaan-2 गए थे लेकिन लैंड नहीं कर पाए इससे हमें यह पता चलता है कि हमारा चंद्रयान-2 भी असफल नहीं हुआ था। क्योंकि चंद्रयान 2 के Orbitar वहां पर चंद्रयान-3 को लैंड करने की सही जगह को बताएं गा
किसने कहा कि हमारा चंद्रयान 23 को नहीं27 को लैंड कर सकती है।
चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल को लेकर कोई भी फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा तो चांद पर यान की लैंडिंग 27 अगस्त को कराई जाएगी। इसरो के अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर निलेश एम देसाई ने यह जानकारी दी है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से सोमवार शको देसाई ने बताया कि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले, हम लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय करेंगे कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं। कोई समस्या नहीं होती है तो हम 23 अगस्त को ही लैंडिंग करेंगे।
इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव एस सोमनाथ ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और उन्हें 'चंद्रयान -3' की स्थिति और तैयारियों की जानकारी दी।
इस एक्सक्लूसिव बातचीत में देसाई ने बताया है कि लैंडिंग के अंतिम 15 मिनट बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे। वह बोले, भारत के लिए यह बहुत बड़ा दिन होगा।' साथ ही उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि चंद्रयान- 3 रूस के लूना 25 से ज्यादा भरोसेमंद है।
निलेश देसाई के मुताबिक, इसरो का मिशन अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना नहीं है। फोकस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उत्कृष्टता पाना है। इसके जरिये चांद के बारे में दुनिया की समझ को और बढ़ाना और विकसित करना है। चंद्रयान-3 के लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (LPDC) ने जिस तरह की तस्वीरों को कैप्चर किया है, वह इसरो की क्षमता का सबूत है।
अगर चंद्रयान 3 को 23 अगस्त को लैंड नहीं कराया जाता है, तो फिर इसे 27 अगस्त को भी चांद पर उतारा जा सकता है।
क्या है 15 Minutes of terror चंद्रमा हमारी पृथ्वी 3,83,400 किलोमीटर दूर है। वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रयान की लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट काफी अहम होने वाले हैं। इन आखिरी क्षणों को 15 minutes of terror कहा जा रहा है।
दरअसल, स्पेस के अंतिम क्षणों को Last Minutes Of Terror कहा जाता है। इन लास्ट मिनट्स में लैंडिंग रोबर ग्रह की सतह पर लैंड करता है। इन 15 मिनट में लेंडर खुद से ही काम करता है। इस दौरान इसरो से कोई भी कमांड नहीं दिया जा सकता है। ऐसे में यह समय काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। इस दौरान लैंडर को सही समय, सही ऊंचाई और सही मात्रा में ईंधन का इस्तेमाल करते हुए लैंडिंग करनी होगी।
लैंडिंग के चार फेज होंगे:
1. रफ ब्रेकिंग फेज
• इस वक्त लैंडर लैंडिंग साइट से 750 Km दूर होगा और स्पीड 1.6 Km / sec होगी।
• ये फेज 690 सेकेंड तक चलेगा। इस दौरान विक्रम के सभी सेंसर्स कैलिब्रेट होंगे।
• 690 सेकेंड में हॉरिजॉन्टल स्पीड 358m/see और नीचे की तरफ 61m/see हो जाएगी।
Step:1 रफ ब्रेकिंग फेज |
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