संसद और विधायक में क्या अंतर है?
सांसद और विधायक दोनों ही राजनीतिक पद होते हैं लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर होते हैं।
सांसद (member of parliament) एक व्यक्ति होता है जो लोक सभा या राज्य सभा के सदस्य का पद धारण करता है। लोक सभा के सदस्यों को संसदीय सदस्य भी कहा जाता है। लोक सभा संसद का निर्माण करती है जो देश की विधायिका होती है जो संविधान के अनुसार देश की नीतियों तथा कानूनों को बनाने और संशोधित करने के लिए जिम्मेदार होती है। संसद में सदस्यों का चयन लोकतंत्र के माध्यम से होता है। लोक सभा के सदस्यों का अधिकार संविधान द्वारा निर्धारित होता है। विधायक (Member of Legislative Assembly) एक व्यक्ति होता है जो राज्य सभा में नहीं होता है बल्कि वह राज्य सभा की तरह अलग-अलग राज्यों में विधान सभा के सदस्य का पद धारण करता है। विधान सभा राज्य स्तर की विधायिका होती है जो राज्य के नीतियों तथा कानूनों को बनाने और संशोधित करने के लिए जिम्मेदार होती है। विधायकों का चयन भी लोकतंत्र के माध्यम से होता है। विधायकों का अधिकार भी संविधान द्वारा निर्धारित होता है लेकिन ये संविधान राज्य सभा के अनुसार निर्धारित होते हैं। इसके अलावा, सांसद लोक सभा या राज्य सभा के सदस्य होते हैं जबकि विधायक विधान सभा के सदस्य होते हैं। सांसदों की चुनाव की अवधि लोक सभा के लिए पांच वर्ष होती है जबकि विधायकों का चुनाव राज्य सभा के अनुसार अलग-अलग होता है और इनकी अवधि भी राज्य सभा के अनुसार निर्धारित होती है। एकऔर महत्वपूर्ण अंतर सांसद और विधायक के बीच है कि सांसद देश के स्तर पर कानूनों तथा नीतियों को बनाने और संशोधित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं जबकि विधायक राज्य स्तर पर कानूनों तथा नीतियों को बनाने और संशोधित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस तरह सांसद और विधायक दोनों ही राजनीतिक पद होते हैं लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर होते हैं जो उनकी जिम्मेदारियों, अधिकारों और चुनाव से बंधित होते हैं।
सांसद और विधायक दोनों अपनी-अपनी सीमाओं में देश के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अपने क्षेत्र में लोगों की समस्याओं को सुलझाने और उनकी आवाज को सुनने की जिम्मेदारी लेते हैं।
इसके अलावा, सांसद देश के स्तर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए कई कार्यक्रम चलाते हैं। वहीं, विधायक राज्य स्तर पर अपने क्षेत्र की समस्याओं को सुलझाने और उन्हें दूर करने के लिए कार्यक्रम चलाते हैं जो कि राज्य सरकार द्वारा संचालित होते हैं।
इनके कार्य क्या होता है ?
सांसद और विधायक दोनों ही राजनीतिक पद होते हैं और इनका कार्य देश और राज्य के स्तर पर समान होता है। उनका मुख्य कार्य विभिन्न बिल लाने, विवादों पर विचार करना, समाज की समस्याओं का हल निकालना, विकास के लिए नीतियों का निर्धारण करना, लोकतंत्र के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करना, जनता के लिए कानून बनाना और उनके हितों की रक्षा करना होता है। सांसद देश के स्तर पर कानून बनाने वाले लोकतंत्र के चौथे स्तर के होते हैं और उनका मुख्य काम राज्यों के साथ संघ के लिए कानून बनाना, संघ की नीतियों को संशोधित करना, बजट और वित्तीय नीतियों के साथ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करना और विभिन्न समाज के वर्गों के हितों की रक्षा करना होता है।
विधायक राज्य स्तर पर कानून बनाने वाले लोकतंत्र के तीसरे स्तर के होते हैं और उनका मुख्य काम अपने विधान सभा के साथ नीतियों को संशोधित करना, नई नीतियों का निर्धारण करना, बजट पर विचार करना, लोकल विकास के लिए
योजनाओं को स्थापित करना और समाज के विभिन्न वर्गों के हितों की रक्षा करना होता है। वे अपने राज्य में सरकारी योजनाओं को लागू करने और स्थानीय विकास के लिए सरकार के साथ सहयोग करते हैं।
दोनों ही पद लोकतंत्र की स्थापना, जनता के लिए काम करने और देश और समाज के विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
PBLICISD BY MUKESH KUMAR
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